वाणासुर ने की थी सोहगरा में शिवलिंग की स्थापना।
कृष्ण मोहन शर्मा, July 10, 2025
HighLights

गुठनी(सिवान)
सोहगरा शिव मंदिर एक ऐसा मंदिर हैं जो पौराणिक धरोहरों को संजोये ऐतिहासिक घटनाओं का साक्षी है। मान्यताओं में ऐसी प्रसिद्धि जो श्रद्धालुओं कि मंशा पूरी करता है,रोगियों को ठीक करता व दुखियों का कष्ट हरता है। इसकी महत्ता वर्णन से परे है। बाबा हँसनाथ के सोहगरा शिवधाम में स्थापित शिवलिंग द्वापरयुगीन है जिसकी स्थापना शिवभक्त दैत्यराज वाणासुर ने अपनी पुत्री उषा की पूजा अर्चना के लिये किया था। अपनी पौराणिक महत्ता के कारण विख्यात है बाबा हंस नाथ का नगरी सोहगरा शिव धाम। सिवान जिला का सुप्रसिद्ध यह मंदिर अपनी पौराणिक महत्ता को सुशोभित करता हुआ भक्तों के श्रद्धा का केंद्र है। बाबा हँसनाथ की इस नगरी सोहगरा शिव धाम में द्वापर युगीन विशालकाय शिवलिंग की स्थापना के कारण पौराणिक महत्ता के लिए पूरे देश में विख्यात है।
श्रावण मास में लाखों की संख्या में श्रद्धालु जलाभिषेक करने यहां आते है। प्रत्येक सोमवार को अप्रत्याशित भीड़ होती है। मंदिर के संबंध में तमाम मान्यताएं है जो भक्तों के लिये श्रद्धाभक्ति और आस्था का प्रतीक है। ऐसा बताया जाता है कि पुत्र प्राप्ति की कामना पूर्ण होती है,कुष्ठ रोगी के ठीक होने के प्रमाण मिले है। जन-श्रुति के अनुसार यहां मन्नते पूरी होती है। श्रावण मास के मौके बाबा बाबा हंस नाथ की पवित्र नगरी सोहगरा शिव धाम में पूरे मास चलने वाले मेले व शिवलिंग पर जलाभिषेक का काफी महत्व है।द्वापरयुगीन विशालतम शिवलिंग पर जलाभिषेक करने के लिए काफी दूर-दूर से शिव भक्त पहुंचते हैं जिससे काफी भीड़ होती है।
भारत के प्रसिद्ध शिव मंदिरों में एक बाबा हंस नाथ का सोहगरा शिव धाम मंदिर उत्तर प्रदेश की पूर्वी तथा बिहार प्रांत की पश्चिमी सीमा पर सिवान जिला मुख्यालय से 40 किलोमीटर तथा गुठनी थाना मुख्यालय से 10 किलोमीटर की दूरी पर अवस्थित है। सरयू नदी से मिली एक पतली नदी छोटी गंडकी(हिरण्यवती) अपनी धारा से जिस भूमि को सिंचित करती है उसको उदांत भाव भूमि पर बाबा हंस नाथ महादेव का पौराणिक शिव मंदिर सोहगरा शिवधाम अपनी प्रसिद्धि की सुगंध उत्तर प्रदेश व बिहार सहित पूरे देश में बिखेर रहा है।

जानकारी के अनुसार शिव महापुराण के चतुर्थ कोटि रूद्र संहिता के अनुसार भगवान शिव के 21 शिवलिंग है जिसमें 13 ज्योतिर्लिंग के रूप में बाबा शिव हंसनाथ के रूप में सोहगरा शिव धाम में विराजमान है। मंदिर में विशालकाय शिवलिंग स्वयंभू शिवलिंग है जैसा कि शिव पुराण में वर्णित है। सोहगरा शिव धाम में अवस्थित प्रसिद्ध मंदिर की स्थापना द्वापर युग में दैत्यराज वाणासुर द्वारा की गई थी ऐसी मान्यता है। अभिलेखों में उल्लेख के अनुसार दैत्यराज वाणासुर की पुत्री उषा शिव भक्ति थी जिसके पूजा-अर्चना के लिए बाणासुर ने मंदिर की स्थापना की थी। ऐसी प्रमाणिकता विख्यात है की देवगण द्वारा स्थापित शिवमंदिर के गर्भगृह में पूर्व दिशा से प्रवेशद्वार है जबकि दैत्यों द्वारा स्थापित शिवालय के गर्भगृह के मुख्य दरवाजा पश्चिम दिशा से है जो सोहगरा शिवमंदिर में भी देखने को मिलता है। आज भी मंदिर के 5 किलोमीटर की त्रिज्या में तमाम ऐसे पुरातात्विक प्रमाण मिलते रहे है जिससे इसकी महत्ता और पौराणिकता को बल मिलता है।इस मंदिर के क्षेत्र में तमाम छोटे छोटे मंदिरों व किलो के भग्नावशेष विद्यमान है।
क्षेत्र में जब जब किसानों ने खेतों की खुदाई की प्राचीन मूर्तियां,तोरणद्वार,सिक्के,इत्यादि मिलते रहे हैं। मंदिर के मुख्य द्वार पर अशोक चिन्ह विद्यमान होने से अनुमान लगाया जाता है कि मंदिर का जीर्णोद्धार सम्राट अशोक ने कराया होगा। शिवपुराण में दैत्यराज वाणासुर की कथा प्रख्यात है। दैत्यराज ने सोणितपुर को अपना राजधानी बनाया था वही सोणितपुर आज सोहनपुर के नाम से जाना जाता है। सोहगरा शिव धाम का पौराणिक नाम सोहगम था जिसका अर्थ होता है “मैं वही हूं” जो वाणासुर ने अपने मंत्रियों के साथ गुप्त मंत्रणा में किया करता था। कालांतर के नामो में प्रख्यात सोहगरा शिव गौरा नाम से भी प्रसिद्ध था जो बाद में अपभ्रंस होकर सोहगरा हुआ। सोहगरा शिवधाम की महत्ता वर्णन से परे है। शिव धाम में स्थापित शिवलिंग के संबंध में मान्यता है कि यहां पूजा-अर्चना करके पुत्र प्राप्ति की मन्नते पूरी होती है,जन श्रुति के अनुसार कोई कुष्ठ रोगी यहाँ स्थापित शिवलिंग पर 1 माह तक प्रत्येक सोमवार को जल अर्पण करें और उसका लेप प्रभावित स्थान पर करे तो उसका रोग समाप्त हो जाता है।पुत्र प्राप्ति के संबंध में जन श्रुति के अनुसार कई ऐसे प्रमाण मिले हैं। महाराजा हंसध्वज के पुत्र तुंग ध्वज ने भी पुत्र प्राप्ति के लिए यहां पूजा अर्चना की थी।श्रीमद्भागवत के दशम स्कंध में इस बात का उल्लेख मिलता है कि दैत्यराज की पुत्री उषा द्वारा श्री कृष्ण प्रपौत्र अनिरुद्ध को सपने में देखने के पश्चात अपनी सहेली चित्रलेखा द्वारा जब वंदी बना लिया गया था तो भगवान श्री कृष्ण के पौत्र अनिरुद्ध को बंदी बना लिया गया था तो दैत्यराज वाणासुर और श्री कृष्ण के बीच इसी सोणितपुर के निकट भयंकर युद्ध हुआ था।उस समय श्री कृष्ण ने भी भगवान शिव की आराधना की थी।
विसुनपुरावासी भू-परी चल पहुचते है सोहगरा धाम ।
महाशिवरात्रि के मौके पर अपने अपने घरो से भू-परी चल सोहगरा शिव मंदिर मे जलार्पण करने पहुचते है विसुनपुरा गाँव वासी। पिढी दर पिढी चली आ रही यह परंपरा उसी जोसो खरोसो के साथ आज भी कायम है। गुठनी के विसुनपुरा गाँव के वासी साढे तीन किलोमिटर मंदिर की दूरी दो दिन मे भू-परी चल पुरा करते है। इस परंपरा के बारे मे गाँव के सबसे बुजुर्ग बाबुराम चौरसिया,शिवधारी गोड़,रामाशिष यादव आदि ने बताया था कि यह परंपरा कब से चली आ रही हमलोग को पता नही है लेकिन हमारे बाबा दादा करते आये है जिसे आज हमारे बच्चे कर रहे है। वैसे जनश्रुति के अनुसार जब श्रीकृष्ण अपने प्रपौत्र अनिरुद्ध को छुड़ाने दैत्यराज की राजधानी शोणितपुर पहुचे तो वाणासुर के साथ भयंकर युद्ध हुआ था उस समय श्रीकृष्ण की सेना यही विसुनपुर गांव में ठहरी थी। वाणासुर पर विजय प्राप्त करने के बाद यहीं से श्रीकृष्ण शिव दर्शन के लिए भू-परी चलकर गये थे उसी समय से यह परंपरा चली आ रही है।
पर्यटन स्थल बनने की बाट जोह रहा सोहगरा धाम.
सोहगरा शिवधाम पौराणीक तथा प्राचीनतम स्मृतियो को संजोये पर्यटन स्थल बनने की बाट जोह रहा है। सरकारी महकमा और पुरातत्व विभाग की लापरवाही से आज तक इस मंदिर का विकास नही हो सका। भारत सरकार व बिहार सरकार के आला अधिकारी से नेता तक आते रहे है और आश्वासन देते रहे है परंतु धरातल पर कुछ भी कार्य नही दिखता। मुख्यमंत्री नितिश कुमार भी 2014 के लोक सभा चुनाव के दौरान गुठनी कार्यक्रम मे सोहगरा धाम के विकास करवाने की बात कही थी। 2011 मे तत्कालिन विधायक रामायण माँझी ने विधान सभा के पंचदस सत्र मे सोहगरा शिव धाम को पर्यटन स्थल व बिकसित करने संबंधी सवाल उठाया था। उनके तारांकित सवाल संख्या टन -04 के आलोक मे तभी से सरकार जिला से लेकर स्थानीय पदाधिकारियो से पत्राचार कर प्रतिवेदन माँगती है और प्रतिवेदन जाता भी है पर कार्य पर अमल नही होता। वर्तमान क्षेत्रीय विधायक सत्यदेव राम बिहार राज्य पर्यटन समिति के सभापति है और इनके नेतृत्व में भी पर्यटन समिति की टीम सोहगरा का भ्रमण कर जांच पड़ताल कर चुकी है परंतु अबतक कुछ विकास होता दिखाई नही दे रहा है।